नई दिल्ली (ईएमएस)। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि 2014 में 404 मेडिकल कॉलेजों में कुल 54348 सीटें थीं। इसमें 205 मेडिकल कॉलेज निजी थे, जिनमें 28605 सीटें थीं। वहीं, 189 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 25743 सीट थीं। वर्ष 2019-20 में कुल सरकारी मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़कर 539 हो गई और कुल सीटें 80312 हो गईं। इस दौरान निजी मेडिकल कॉलेजों की संख्या में 45 का इजाफा हुआ और प्राइवेट सीटें बढ़कर 38090 हो गईं। जबकि इसी दौरान सरकारी मेडिकल कॉलेजों की संख्या में 90 का इजाफा हुआ और सरकारी मेडिकल कॉलेजों में कुल सीटें बढ़कर 42,222 पर पहुंच गईं। यहां खास बात ये है कि महज सात साल पहले तक देश में एमबीबीएस सीटों की ही संख्या 41,569 थी।
एमबीबीएस सीटों की संख्या एक लाख के पार पहुंचने का अनुमान है।
स्वास्थ्य मंत्रालय सूत्रों की माने तो हाल ही में मंत्रालय ने 75 नए सरकारी मेडिकल कॉलेज खोलने का ऐलान किया है, जो 2022 तक शुरू हो जाएंगे। इसमें 15 हजार से अधिक एमबीबीएस की सीटें बढ़ेंगी। इसके अलावा वर्तमान में निर्माणाधीन आधा दर्जन से अधिक एम्स में भी एमबीबीएस शुरू हो जाएंगे। इससे अगले तीन साल में अकेले सरकारी कॉलेजों में एमबीबीएस की सीटों की संख्या 60 हजार के करीब पहुंच जाएगी। वहीं, कुल एमबीबीएस सीटों की संख्या एक लाख के पार पहुंचने का अनुमान है। निजी मेडिकल कॉलेजों में फीस अधिक होती है। कमजोर आर्थिक स्थिति वाले छात्रों के लिए इनसे एमबीबीएस करना मुश्किल होता है।
– केसे बढ़ती गईं सीट
पहले की तुलना में उनके लिए अब एमबीबीएस करना आसान हो गया है। दरअसल, एक दशक में पहली बार देश में सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या निजी मेडिकल कॉलेजों से ज्यादा हो गई हैं। यानी कम खर्च पर ज्यादा लोग डॉक्टर बन सकेंगे। 2014 में नई सरकार बनने के बाद से अब तक 90 सरकारी मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की वजह से यह बदलाव आया है।