नई दिल्ली (ईएमएस)। अगर आप ठंड के प्रकोप से बचने के लिए रम या ब्रैंडी का सेवन करते हैं, तो जान लीजिए इन्हें सीमित मात्रा में पीना सेहत के लिए फायदेमंद है। सर्दियों में अक्सर लोग कहते हैं कि ठंड से बचने के लिए थोड़ी ब्रैंडी या रम पी लेना चाहिए। इससे शरीर में गर्मी आती है और किसी तरह का नुकसान भी नहीं होता। यह बहुत कम लोग जानते हैं कि ब्रांडी को वाइन से ही बनाया जाता है, जो इसमें अल्कोहल की मात्रा को बढाता है। इसे एक विशेष रंग में ढाल दिया जाता है। अगर इसका ज्यादा इस्तेमाल किया जाए, तो एक नशे के रुप में यह शरीर को कई तरह से नुकसान पहुंचाता है। साथ ही लिवर आदि से जुड़ी समस्याएं भी पैदा करता है। उल्लेखनीय है कि ब्रांडी पीने के ठीक वैसे ही प्रभाव हैं, जैसे कि वाइन पीने से होते हैं। ज्यादातर लोग इसके फायदों के बारे में नहीं जानते हैं। एविएशन मेडिसीन स्पेशलिस्ट डॉ. दिलीश मलिक, के मुताबिक ज्यादा सर्दी का मौसम हो तो रम का सेवन किया जा सकता है। 30 से 60 एमएल तक आप रम का सेवन कर सकते हैं। इतनी मात्रा में रम का सेवन करने से यह शरीर में गरमी पैदा करती है, जिससे की आपको ठंड नहीं लगती।
बहुत कम लोग जानते हैं कि ब्रांडी को वाइन से ही बनाया जाता है, जो इसमें अल्कोहल की मात्रा को बढाता है।

डॉ. मलिक के मुताबिक, आप यही गर्मी पैदा करने के लिए एक कप चाय या गर्म सूप भी पी सकते हैं। एक अध्ययन में पाया गया है कि उचित मात्रा में ब्रांडी का सेवन करने से इसमें मौजूद एंटी-आक्सीडेंट आपके हार्ट के खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करके उसके लेवल को नियंत्रित करता है। अगर आप ब्रांडी पीते हैं तो आपके हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा ब्रांडी में मौजूद पॉलीफीनोलिक केमिकल आपके हार्ट के इन्फ्लेमेसन को कम करके ब्लडप्रेशर को ठीक रखता है। सर्दी के मौसम में रम पीने से बोन मिनरल डेन्सिटी बढ़ जाती है और दर्द दूर करता है। अगर आप सर्दी के मौसम में सीमित मात्रा में रम का सेवन करते हैं तो आपकी मसल्स पेन की परेशानी भी दूर हो सकती है। सर्दी के मौसम में ज्यादा प्रदूषण के कारण अक्सर लोगों में सांस से जुड़ी बीमारियां बढ़ जाती हैं। ऐसे में ब्रैन्डी का सेवन इसमें मददगार साबित हो सकता है। दरअसल, ब्रैन्डी में एंटीइन्फ्लेमेट्री गुण होते हैं, जो सांस से जुड़ी तकलीफों को दूर करने का काम करते हैं। रिसर्च में यह बात भी सामने आई है कि वैसे लोग जो ब्रैन्डी का सेवन सीमित मात्रा में करते हैं, उनके फेफड़ों से जुड़ी बीमारी होने का खतरा 20 फीसदी तक कम हो जाता है।