मुंबई (ईएमएस)। बीजेपी ने शनिवार को सुबह-सुबह महाराष्ट्र में सरकार बनाते हुए सभी को हैरान कर दिया। सुबह से लेकर शाम तक हुए तमाम ड्रामे के बाद शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने रात में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के महाराष्ट्र के राज्यपाल के फैसले को रद्द करने का अनुरोध किया। साथ ही, विधायकों की खरीद-फरोख्त को रोकने के लिए तुरंत ‘शक्ति परीक्षण कराने का भी अनुरोध किया है। इस याचिका पर उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति एनवी रमन्ना, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ आज सुनवाई करेगी। शीर्ष न्यायालय में इस मामले पर सुबह साढ़े ग्यारह बजे सुनवाई शुरू होगी। तीनों पार्टियों ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बनाने के लिए उन्हें आमंत्रित करने का राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को निर्देश देने की भी मांग की। यह भी कहा गया है कि उनके पास 144 से ज्यादा विधायकों का समर्थन है।
शीर्ष न्यायालय में इस मामले पर सुबह साढ़े ग्यारह बजे सुनवाई शुरू होगी।
आरोप- राज्यपाल पद की गरिमा का मजाक बनाया
तीनों दलों की तरफ से वकील सुनील फर्नांडिस द्वारा दायर याचिका में कहा गया, ‘…राज्यपाल ने भेदभावपूर्ण तरीके से काम किया और राज्यपाल पद की गरिमा का मजाक बनाया। इसमें कहा गया कि 23 नवंबर को शपथ ग्रहण कराना केंद्र में सत्ताधारी पार्टी के इशारे पर राज्यपाल के काम करने का सटीक उदाहरण है। याचिका में कहा गया कि इस मामले के तथ्य दर्शाते हैं कि राज्यपाल ने ‘संवैधानिक पद की गरिमा को कमतर किया और अवैध तरीके से सत्ता हड़पने की बीजेपी की इच्छा के लिए खुद को मोहरा बना दिया।

दावा- बीजेपी की अल्पमत वाली सरकार
फर्नांडिस के जरिए दायर याचिका में दावा किया गया है कि ‘बीजेपी की अल्पमत वाली सरकार बनवाने का राज्यपाल का कार्य अवैध और असंवैधानिक है। इसमें आगे कहा गया कि शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन के पास 288 सदस्यीय विधानसभा में संयुक्त रूप से ‘स्पष्ट बहुमत है और यह स्पष्ट है कि बीजेपी के पास ‘144 विधायकों का जरूरी आंकड़ा नहीं है। फडणवीस को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किए जाने के फैसले को रद्द करने की मांग करते हुए याचिका में कहा गया कि यह, ‘असंवैधानिक, मनमाना और अवैध और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने एक अलग याचिका दायर कर राज्यपाल को यह निर्देश देने की मांग की है कि वह विधायकों के शपथ लेने और शक्ति परीक्षण के लिए विशेष सत्र बुलाएं।