नई दिल्ली (ईएमएस)। स्त्री की सहज सुंदरता में आभूषणों का श्रृंगार भी अहम स्थान रखता है। दरअसल, इन आभूषणों का न सिर्फ भौतिक, बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी है। विभिन्न आभूषण, गहने व्यक्तित्व को ही नहीं निखारते, बल्कि शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करते हैं। महिलाओं द्वारा आभूषणों को धारण करना मात्र फैशन ही नहीं शोध परक वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक जरूरत भी है। आभूषण नारी का अलंकार-श्रृंगार ही नहीं हैं, उसके नैसर्गिक नारी-सुलभ व्यवहार को भी प्रतिबिम्बित करने में सहायक होते हैं। महर्षि कश्यप का कहना है कि महिलाओं को किसी न किसी प्रकार, किसी न किसी तरह के सोने-चांदी के आभूषण जरूर पहनने चाहिए और सौभाग्यवती महिलाओं को लाल-गुलाबी वस्त्र धारण करने चाहिए। नाक में आभूषण धारण करने से फेफड़ों में पहुंचने वाली वायु शुद्ध होती है। शुद्ध वायु से अशुद्ध रक्त की पूरी तरह शुद्धि हो जाती है। यह रक्त हृदय के माध्यम से अंग-अंग में पहुंच कर व्यक्तित्व और नारी-सुलभ गुणों को निखारता है। नाक का मस्तिष्क से सीधा संबंध है, इससे ज्ञान-तंतुओं का पोषण होता है। लौंग और नथ पेट एवं पाचन क्रिया को दुरुस्त करते हैं।
आभूषणों को धारण करना मात्र फैशन ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक जरूरत भी
कान में आभूषण धारण करने से वायु कान में प्रवेश होने से श्रवण (सुनने वाली) इंद्रियों को बल मिलता है, श्वासनलिका शुद्ध होती है तथा आंखों की रोशनी सलामत रहती है। कान छेदने से गला व जीभ स्वस्थ रहती है। हाथों, कलाइयों में आभूषण धारण करने से ये हमेशा आंखों के सामने रहने के कारण आंखों की ज्योति को पुष्ट करते हैं और प्रदाह (जलन) को शांत करके कांति में वृद्धि करते हैं। शंख की चूड़ियां शरीर में कैल्शियम की कमी व पित्तजन्य बीमारियों को दूर करने में सहायक होती हैं। मस्तिष्क का टीका मन को शांत, सहज, संतुलित व स्वस्थ रखता है। भौंह और बालों के बीच में माथे पर बिंदी लगाने से गले की आवाज मधुर बनी रहती है। दोनों भौंहों के बीच बिंदी चिपकने से फेफड़ों को शक्ति मिलती है तथा शरीर की ऊर्जा संतुलित रहती है। सिंदूर महिलाओं के सौभाग्यवती होने का मांगलिक सूचक आभूषण है। यह नारी के लिए सबसे बड़ा और सबसे कीमती श्रृंगार है। सिंदूर मस्तिष्क को शांत एवं शीतल रखता है तथा नारीत्व की गरिमा को बनाए रखता है।

मस्तिष्क पर धारण किए गए आभूषण बालों की वृद्धि व पोषण के लिए विशेष रूप से उपयोगी होते हैं। आंखों में लगाया गया काजल पैरों की उंगलियों और कमर दर्द में आराम पहुंचाता है। यह आंखों की ज्योति के लिए भी लाभदायी है। गर्दन में पहने हुए आभूषण स्वेद (पसीना) ग्रंथियों को शुद्ध करते हैं। पायल एवं पैरों में पहनने वाले कड़े, बिछिया आंख, हृदय, शरीर, पैरों, पिंडलियों के आकार-प्रकार को बनाए रखते हैं, साइटिका के दर्द में आराम पहुंचाते हैं तथा एंजाइना, दमा, जुकाम, मधुमेह में लाभदायी हैं। गले में पहनी जाने वाली हंसुली के तलवों की जलन दूर करती है और चेहरे के हाव-भाव को निखारकर विशेष चमक पैदा करती है। बालों में लगाने जाने वाले गजरा, वेणी से शरीर शीतल रहता है, फोड़े-फुंसी परेशान नहीं करते, शरीर पर टॉक्सिन (विष) का प्रभाव कम होता है, मोटापा कम होता है, रक्त विकार दूर होते हैं और मन प्रसन्न रहता है।